चंडीगढ़ के पास बसे इस गांव में किसी भी घर पर नहीं बनती दूसरी मंजिल जाने सचाई

चंडीगढ़ के पास बसे इस गांव में किसी भी घर पर नहीं बनती दूसरी मंजिल जाने सचाई

चंडीगढ़ के पास बसे इस गांव में किसी भी घर पर नहीं बनती दूसरी मंजिल जाने सचाई

चंडीगढ़ के पास बसे इस गांव में किसी भी घर पर नहीं बनती दूसरी मंजिल जाने सचाई

 चंडीगढ़। चंडीगढ़ के निकट पंजाब के मोहाली जिले के अधीन आने वाले गांव जयंती माजरी की ऐसी कहानी हे की आप भी इसे देख कर सोचने पर मजबूर हों जावगे  लेकिन यह सचाई हे ।  बताया जाता हे की यहाँ की मान्यता है कि अगर कोई घर के ऊपर पहली मंजिल बनाएगा तो उस घर को नुकसान होगा। गांव में बने हर घर को नींव से उठाकर दीवारों के साथ छत तक बनाया जाता है। छत के ऊपर किसी प्रकार का निर्माण पूरी तरह से वर्जित है। घर की छत पर निर्माण करने को लेकर लोगों की मान्यता है कि गांव के साथ लगती पहाड़ी पर मां जयंती देवी का मंदिर है। माता के अनुसार गांव में कोई भी घर मेरे मंदिर से ऊंचा नहीं बन सकता, यदि घर की छत पर कोई निर्माण कार्य होता है तो वह घर गिर जाएगा और ऐसा होता भी है। इसी मान्यता आज भी लोग गांव में घर को ग्राउंड फ्लोर तक ही बनाते हैं

 चंडीगढ़ से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर  इस गांव  में किसी भी घर पर ऊपरी मंजिल नहीं बनाई गई हैयानि ग्राउंड फ्लोर के बाद घर के ऊपर फर्स्ट फ्लोर किसी भी घर पर नहीं बना है। इसे आस्था  कहे या  कुदरत का खेल या ओर कुछ ।


हथनौर रियासत में बना है गांव

 जानकारी के अनुसार मोहाली जिले में बस्सा जयंती माजरी गांव का इतिहास भी रोचक है। 18वीं सदी में गांव से 150 मीटर की दूरी पर हथनौर नाम की रिसायत थी। उस समय गांव के स्थान पर नदी बहती थी। मां जयंती देवी हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले से राजा की शादी में उसकी पत्नी के साथ आई थी। राजा की पत्नी कांगड़ा के राजा की बेटी थी। जब तक कांगड़ा की बेटी हथनौर रियासत में जिंदा रही उस समय तक मां जयंती देवी की पूजा नदी के किनारे होती रही। रानी की मौत के बाद माता जयंती देवी की मूर्ति को उठाकर डाकू गरीब दास ने शिवालिक की पहाड़ी पर स्थापित कर दिया। मां की मूर्ति पहाड़ी पर स्थित होने के बाद नदी सूख गई और रियासत खत्म होकर गांव में तब्दील हो गई। 


विशेषज्ञों का कहना

एक तरफ गांव वालों की मान्यता है कि माता की मान्यता अनुसार किसी भी घर की छत पर निर्माण नहीं होगा क्योंकि मेरे मंदिर से ऊंचा किसी का घर नहीं हो सकता। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि गांव में पानी की गहराई आठ से दस फीट की है। भूगौलिक साइंस के मुताबिक घर का निर्माण करने के लिए चार से आठ फीट गहरी नींव होनी अनिवार्य है। यदि नींव के नीचे की धरातल मजबूत न हाे तो दूसरी मंजिल नहीं बनाई जा सकती है। जमीन में यदि मजबूत पत्थर या फिर मिट्टी की परत न होने के बयाज पानी हो तो वह मकान का ज्यादा भार सहन नहीं कर सकता और घर धराशायी हो सकता है।